टोकरी में रखे आम
याद तो करते होंगे
पत्तियों के संग-साथ को
क्या कभी जाना है तुमने
आम और पत्तियों का अंतर्संबंध?
साथ-साथ हवा में झूमे, चहके-महके
बारिश में नहाए, एक साथ बौराए
शाख़ से टपकते आम के लिए
अकुलाती तो होंगी पत्तियाँ
पत्थर की चोट खाकर
आह के साथ बिछुड़ते
आम के लिए
दुख से कराहती हैं पत्तियाँ
कभी आम की मिठास में
चखो तो सही तुम
पत्तियों की पीड़ा!
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें