आँकड़ों का सच (कविता)

पिछले साल से इस साल
पैंतीस बलात्कार कम हुए
यानी बर्बरता कम हुई है
और सभ्यता की ओर अग्रसर हुआ है नगर

जीने के अनुकूल परिस्थितियाँ बनाने में कामयाबी मिली है
और जीने की इच्छा भी मज़बूत हुई है लोगों की
क्योंकि आत्महत्या करने वालों की तादाद
इस साल चालीस कम है

हत्याओं की तादाद भी पिछली बार से घटकर
आधी से कुछ ही ज़्यादा है
यानी क्रूरता में पर्याप्त गिरावट आई है

ये आँकड़े सभ्य नागरिकों के भरोसे के लिए हैं
और दुर्घटनाओं की जानकारी सहानुभूति के लिए

हालाँकि सभ्यता के विकास में
हमारी कार्रवाइयों के बावजूद
इस साल भी लोग दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं
और उनके दुर्भाग्य पर हमें अफ़सोस है बहुत
लेकिन हमें संतोष करना चाहिए कि
आँकड़ों का सच सभ्यता के साथ है

सभ्यता का तक़ाज़ा है कि
ज़िम्मेदार नागरिक का एक पाँव भरोसे पर
और दूसरा सहानुभूति पर टिका रहे।


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