साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
देवरिया, उत्तर प्रदेश
1945 - 1989
ये आँखें हैं तुम्हारी तकलीफ़ का उमड़ता हुआ समुंदर इस दुनिया को जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिए।
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