आँसू मिरी आँखों में नहीं आए हुए हैं
दरिया तिरी रहमत के ये लहराए हुए हैं
अल्लह री हया हश्र में अल्लाह के आगे
हम सब के गुनाहों पे वो शरमाए हुए हैं
मैं ने चमन-ए-ख़ुल्द के फूलों को भी देखा
सब आगे तिरे चेहरे के मुरझाए हुए हैं
भाता नहीं कोई नज़र आता नहीं कोई
दिल में वही आँखों में वही छाए हुए हैं
रौशन हुए दिल परतव-ए-रुख़्सार-ए-नबी से
ये ज़र्रे उसी मेहर के चमकाए हुए हैं
शाहों से दबें क्या जो गदा हैं तिरे दर के
ये ऐ शाह-ए-ख़ूबाँ तिरी शह पाए हुए हैं
आए हैं जो वो बे-ख़ुदी-ए-शौक़ को सुन कर
इस वक़्त 'अमीर' आप में हम आए हुए हैं
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