साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
मधुबनी, बिहार
2004
आसमान से पूछी गहराई, सोए समुद्र से उसकी लंबाई। तारों से उनकी गिनती, सूरज से उसकी परछाई। मिला जवाब तब मुझे, जब मैंने अपनी चेतना जगाई।
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