आत्म विश्लेषण (कविता)

आसमान से पूछी गहराई,
सोए समुद्र से उसकी लंबाई।
तारों से उनकी गिनती,
सूरज से उसकी परछाई।
मिला जवाब तब मुझे,
जब मैंने अपनी चेतना जगाई।


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