अब कहाँ जा के ये समझाएँ कि क्या होता है
एक आँसू जो सर-ए-चश्म-ए-वफ़ा होता है
इस गुज़रगाह में इस दश्त में ऐ जज़्बा-ए-इश्क़
जुज़ तिरे कौन यहाँ आबला-पा होता है
दिल की मेहराब में इक शम्अ जली थी सर-ए-शाम
सुब्ह-दम मातम-ए-अरबाब-ए-वफ़ा होता है
दीप जलते हैं दिलों में कि चिता जलती है
अब की दीवाली में देखेंगे कि क्या होता है
जब बरसती है तिरी याद की रंगीन फुवार
फूल खिलते हैं दर-ए-मय-कदा वा होता है
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें