अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला (ग़ज़ल)

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला।

एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा,
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला।

उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मा'लूम न था,
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला।

दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में,
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला।

इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सब की दुनिया,
कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला।


रचनाकार : निदा फ़ाज़ली
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