साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
गौतम बुध्द नगर, उत्तर प्रदेश
1976
वह आई ससुराल से सौ-सौ ज़ख़्म सीने में दबाए अनगिनत शिकवा-शिकायतें लिए पीहर में उसने बीमार बाप देखे मुरझाई माँ देखी बेरोजगार भाई देखा दरवाज़े पर साहूकार की धमकियाँ सुनीं... आज वह जा रही है वापस अपनी ससुराल अपने चेहरे पर जबरन मुस्कान बिखेरे
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