एक दिन मैंने
अपनी पत्नी के सामने
अपनी पत्नी के ग़ुस्से का अभिनय किया
हँसते-हँसते हो गई वह लहालोट
इस तरह एक स्त्री अपने ग़ुस्से पर हँसी
और उसकी हँसी से मासूमियत
हुई बेहद मोहक और अथाह
यहाँ एक विमर्श बनता है
कि अपने ग़ुस्से पर हँसते हुए एक स्त्री ने
एक पुरुष के ग़ुस्से का प्रतिकार किया
यह अलग बात है कि पुरुष उसे
ठीक से पहचान पा रहा है या नहीं