अगर ठीक से तय कर सकता (कविता)

अगर ठीक से तय कर सकता
कि कहाँ खड़ा रहूँगा
ऐसी बिन बुलाए रात में तो

बता सकता मैं किसी भी तारे की
ठीक जगह
चाहे कितनी ही प्रकाश-वर्षों के
अंतराल पर
मैं गुनगुना सकता
तुम्हारे मन में इस वक़्त
सोया हुआ विचार।


रचनाकार : सुदीप बनर्जी
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