साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
जयपुर, राजस्थान
1952
दृश्य में लौट कर पीछे छूटती सड़क पर फिर अचानक पेड़ घिरती आ रही है शाम पक्षी है कि कोई अधखुली-सी गाँठ? सोचता हूँ मैं अकेला इस समूचे खेल में यह दृश्य है : क्या शह या फिर हमारी मात?
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