अकेलेपन से एकांत की ओर (कविता)

'अकेलापन' कठोर सज़ा,
'एकांत' एक है बरदान।
एक जैसे दिखने वाले,
अंतर ज़मीन आसमान।

एकल छटपटाहट घबराहट,
एकांत लाभ शांति आराम।
बाहरी दुनिया दृश्य अकेला,
भीतर ह्रदय एकांत आराम।

मानव जीवन कुछ और नहीं,
यात्रा अकेलापन से एकांत।
जीवनपथ की यह डगर अजूबी,
राह-राही-मंज़िल एकल एकांत॥


लेखन तिथि : 20 अप्रैल, 2017
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