अलविदा 2021 (कविता)

अब तुम जा रहे हो
न तनिक सकुचा रहे हो,
लगता है बड़े बेशर्म हो गए हो।
जाओ न हम भी कहाँ कम हैं
तुम्हारे जाने से कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता
बस हमारे जीवन का एकवर्ष
अपने साथ ले जा रहे हो,
अपने भाई को हमारे सिर पर
बैठाकर भी जा रहे हो।
तुम अच्छे बुरे जैसे भी थे
शिकवा शिकायत नहीं हमें
बस इतना समझा देना अपने भाई को
हम पर ज़रा रहम करे,
सुकून से जीने खाने कमाने दे,
जैसे दो हज़ार बीस ने तुम्हें समझाया था
तुम्हें समझ भी आया था,
पर जाते-जाते तुमनें भी
तुम अपना रंग दिखा ही दिया।
अब तुम जा रहे हो तब
तुम्हें कोसना अच्छा नहीं लगता,
तुम्हें अलविदा करते समय
मुँह मोड़ना अच्छा नहीं लगता।
अब तुम जाओ दो हज़ार इक्कीस
तुम्हें अलविदा कहता हूँ,
जैसे तुम्हारा स्वागत किया था
उसी तरह दो हज़ार बाइस के स्वागत में
आज भी ठीक वैसे ही ख़ुश होकर
एक बार फिर से खड़ा हूँ।


लेखन तिथि : 31 दिसम्बर, 2021
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