साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
लुधियाना, पंजाब
1921 - 1980
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
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