अपनी अनुभूति (कविता)

बदहवास है हवा की झोंके,
यह ज़िंदगी के उलझे हुए नशा,
यह संसार के अभावनिय स्थिति,
और मनुष्य के मन में भरी हुई अनगिनत चाहत...!

यह प्रकृति की साज़िश
तो कहीं हर चीज़ को प्राप्त करने की कोशिश,
और कहीं इंसानो के ख़्वाहिश
हर पल कुछ नया सोचने को मजबूर कर जाती हैं...!

कहीं जीवन एक किनारा प्राप्त कर ले,
कहीं जीवन अपना वजूद तय कर ले,
कहीं मनुष्य अपनी चाहत को प्राप्त कर ले,
ऐसे सैकड़ों कारवाँ मन में भरी पड़ी है...!


लेखन तिथि : 2017
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