अपनों का दिल तोड़ के बाबा (ग़ज़ल)

अपनों का दिल तोड़ के बाबा
क्यों आए घर छोड़ के बाबा

पैसा पैसा माँग रहे हो
पैसे से मुँह मोड़ के बाबा

क्या ढूँडा था क्या पाया है
अपना आप निचोड़ के बाबा

किस से रिश्ता जोड़ रहे हो
सब से रिश्ता तोड़ के बाबा

जग में जिन के कारन आए
क्या पाया उन्हें छोड़ के बाबा

धागा तोड़ के देख लिया है
देखो फिर उसे जोड़ के बाबा

जिस तन्हाई के हो आशिक़
वो न मिले मुँह मोड़ के बाबा

ये जग है पत्थर की कलाई
देखो इस को मरोड़ के बाबा


रचनाकार : ज़ाहिद अबरोल
  • विषय : -  
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