अपराधी है तो थाना है,
कैसा खूँखार ज़माना है।
हमको अनजाना शहर मिला,
औ सारी रात बिताना है।
हासिल करने की ख़्वाहिश में,
क्या अपना माल गँवाना है।
सारी महफ़िल मायूस हुई,
औ हमको पड़ा हँसाना है।
मिली बेहयाई हमको क्यों,
सब कहते रहे लजाना है।
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