साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
1954
कभी फेफड़े भर जाते हैं गूँगे दुख से दिल का कहीं पता नहीं मिलता भ्रम की पीठ दिखाई देती है चेहरा नहीं।
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें