आओ आशा दीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटाएँ।।
फूलों से महकें महकाएँ,
दुखियारों के दुःख मिटाएँ।
रूह जलाकर ज़िंदा रहना,
जीवन की तो रीत नहीं।
अंतिम हद आशा रखना,
मानव मन की जीत यही।
सूखे पत्तों से झड़ जाते,
इक दिन दुःखो के साए।
मीत हृदय को धीरज देना,
पतझड़ ही मधुमास बुलाए।
ख़ुद से कभी न रूठो मितवा,
कोई कितना तुम्हें सताए।
नदियों जैसे बहते रहना,
कोई कितनी रोक लगाए।
मरने से पहले जीना मत छोड़ो,
आओ यारों नाचें गाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ,
अन्धकार का नाम मिटाएँ।
सूरज से चमके चमकाएँ,
ख़ुशियाँ दोनों हाथ लुटाएँ।
आओ आशादीप जलाएँ,
अंधकार का नाम मिटाएँ।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें