साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
बरसता पानी ख़ूब, बादल मगन हो गए। हैं कर रहीं लहरें उत्पात। पावस की हुई बहुत बिसात॥ उजड़ जाए है ऊब, बादल मगन हो गए। धरा हो गई पानी-पानी। मेघ लिख रहे एक कहानी॥ घाट सभी गए डूब, बादल मगन हो गए।
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