बात बोलेगी (कविता)

बात बोलेगी,
हम नहीं।
भेद खोलेगी
बात ही।
सत्य का मुख
झूठ की आँखें
क्या— —देखें!
सत्य का रुख़
समय का रुख़ है ׃
अभय जनता को
सत्य ही सुख है,
सत्य ही सुख।

दैन्य दानव; काल
भीषण; क्रूर
स्थिति ; कंगाल
बुद्धि; घर मजूर।

सत्य का
क्या रंग?—
पूछो
एक संग।

एक—जनता का
दुःख ׃ एक।
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक।

दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।
कंगाल बुद्धि ׃ मजूर घर-भर।
एक जनता का—अमर वर :
एकता का स्वर।
अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।


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