बात करनी है बात कौन करे (ग़ज़ल)

बात करनी है बात कौन करे
दर्द से दो दो हाथ कौन करे

हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं
चाँद न हो तो रात कौन करे

अब तुझे रब कहें या बुत समझें
इश्क़ में ज़ात-पात कौन करे

ज़िंदगी भर की थे कमाई तुम
इस से ज़्यादा ज़कात कौन करे


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