साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3564
अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
1938 - 2000
किसी ने दावानल कह कर ख़ुद से अलग कर दिया। अचल मानकर किसी ने कर ली किनाराकशी किसी ने निरंतर चल जानकर बचा लिया अपना दामन बच गया मैं इस तरह—इस तरह आख़िर ईश्वरी के लिए लिखता हुआ कविताएँ
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