साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बोकारो, झारखण्ड
1981
बड़े कवि से मिलना हुआ वे सफलता की कई सीढ़ियाँ चढ़ चुके थे हम साथ-साथ उतरे औपचारिकतावश उन्होंने मेरा हाल-चाल पूछा फिर दो क़दम बढ़े और कहा चलता हूँ हालाँकि हम कुछ दूर साथ साथ चल सकते थे हम लोग एक ही ट्रेन के अलग डिब्बों पर सवार हुए उस दिन ट्रेन एक नहीं दो रास्तों से गुज़री
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