बदले न सदाक़त का निशाँ एक रहे (रुबाई)

बदले न सदाक़त का निशाँ एक रहे
हर हाल में पिन्हाँ ओ निहाँ एक रहे
इंसाँ है वही जो इस दौर-ए-दो-रंगी से बचे
लाज़िम है कि दिल और ज़बाँ एक रहे


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