हाय रे आया बैरी सावन,
आवन कह गए आए न साजन।
रहती हूँ मैं खोई-खोई,
रोग लगा है जैसे कोई।
कब से न मैं तो चैन से सोई।
सुनी है सेजिया सूना आँगन,
हाय रे आया बैरी सावन।
आवन कह गए आए न साजन।
नागिन जैसी डसती रतियाँ,
वो बालम की मीठी बतियाँ।
दिल जलता है रोए अँखियाँ।
कजरा घुलता जाए प्रीतम,
हाय रे आया बैरी सावन।
आवन कह गए आए न साजन।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें