साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
पंचकुला, हरियाणा
1976
बरसे बादल क्रोध भरे, नश्वरता का बोध भरे। इतना पानी आँखों में, जाने कैसे रोध करे। कुछ तो सावन का असर, उस पे नयन मोद भरे। पार का सपना टूटा, नदिया तट से प्रतिशोध करे। काले-काले बादल, धैर्य का शोध करे।
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