बरसों से हूँ मैं ज़मज़मा-परदाज़-ए-मोहब्बत
आई न जवाबन कभी आवाज़-ए-मोहब्बत
इक दर्द मोहब्बत है मिरी हर रग-ओ-पय में
हर साँस है अब मेरा इक आवाज़-ए-मोहब्बत
हर-चंद कि हर बज़्म में ठुकराई गई है
आवाज़-ए-मोहब्बत है फिर आवाज़-ए-मोहब्बत
मा'मूर हैं आवाज़-ए-मोहब्बत से फ़ज़ाएँ
मस्तूर है गो साहिब-ए-आवाज़-ए-मोहब्बत
आ जाए ज़रा सीना-ए-आफ़ाक़ में गर्मी
हो जाए ज़रा शो'ला-ज़न आवाज़-ए-मोहब्बत
ये दौर है दौर-ए-हवस इस दौर में ऐ दिल
सुनता नहीं दिल से कोई आवाज़-ए-मोहब्बत
जिस शख़्स के सीने में है दिल की जगह पत्थर
समझेगा वो क्या मा'नी-ए-आवाज़-ए-मोहब्बत
इस दौर-ए-तग-ओ-दौ में वफ़ा कौन सुनेगा
कितनी ही दिल-आवेज़ हो आवाज़-ए-मोहब्बत
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