बहन-बेटियाँ (कविता)

बेटियाँ हँसती हैं तो घर की दीवारें करती हैं बात,
बेटियाँ दो दो घर सँवारें, चलती हैं बात।

बहन बेटियों के लिए हर सीने में प्यार हो, मुरव्वत हो,
ये लायेंगी सुख समृद्धि की बौछारें, दिलों में न नफ़रत हो।

करता हूँ बहन बेटियों के लिए दुआएँ लाख,
गर कोई विपदा आए द्वार, वो हो जाएँ ख़ाक।

बहनें हँसती तो मैं भी बे-सबब ही हँसता हूँ,
दूसरों की बहनों को अपनी बहनें मानता हूँ।

बहन बेटियों से घर में सदा ही चहलपहल हैं,
आँगन में ख़ुशियों की सौग़ातें, महकारें हरपल हैं।

जन्म से ही बेटियाँ साथ हैं, बहुत सारी याद हैं,
बहनें नेमतें हैं तो बेटियों में सौभाग्य का वास हैं।

जब डाले कोई बुरी नज़र, उसका तो मैं काल बनूँ,
रहे जिस घर में बहन, उस घर का मैं पहरेदार बनूँ।

क्या बताऊँ बहते हैं नीर, जज़्बातों की नाव में,
सोचता हूँ कि बेटियाँ तो हैं केवल मेहमान गाँव में।

न हो बहनें घर में तो फीकी रहती हैं रंगोली वहाँ,
ख़ुशियों को तरसे दामन, रोते हैं भाई कर्मवीर वहाँ।


लेखन तिथि : 13 मार्च, 2021
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