बेपरवाह शराबी (कविता)

शराबी का क्या काम?
गाली-गलौज और अपनों का जीना करे हराम।
शराबी की हालत कैसी?
बिल्कुल नासमझ... पागल जैसी।
शराबी के पीठ पीछे सब छि-छि करते रहते हैं ,
ना घर देखता है, ना घाट
टन्न होकर कहीं भी पड़ा रहता है।
घरवालों को दाने-दाने के लिए तरसाए,
ख़ुद फुल टल्ली हो चिकन बिरयानी खाए।
छछूँदर से दोस्ती बढ़ाए,
थोड़े दिनों बाद उसका दिवालिया निकल जाए।
पैसों को पानी की तरह बहाकर
ख़ूब दारू की घूँट पिलाए,
मौक़ापरस्त बनकर धोखा दे जाए।
करता बर्बाद संपत्ति जो उसके बाप-दादा ने थे कमाए,
घरवालों को कर दिया कंगाल और ख़ुद के लिवर को भी जला डालता,
मूर्ख बंदा, पागल शराबी अनमोल रत्न गवाँ डालता।


लेखन तिथि : दिसम्बर, 2021
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