बेटियों को पढ़ने दो (कविता)

आज बेटियों को सब पढ़ने दो,
और आगे इनको भी बढ़ने दो।
खिलने दो और महकने भी दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।

इनको बनकर तारें चमकने दो,
परचम इनको अब लहराने दो।
हँसने दो और मुस्कराने भी दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।

चाहे बेटे हो अथवा बेटियाँ दो,
अत्याचार नही अब होने न दो।
इन्हें ऊँची उड़ान अब भरने दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।

अब पिंजरे मे इन्हें ना रहने दो,
आज़ाद पक्षी बनकर उड़ने दो।
झाँसी जैसा इतिहास रचाने दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।

ज्वालामुखी सा इन्हें बनने दो,
अब अबला से सबला होने दो।
और आत्म-सम्मान से जीने दो,
अब पढ़ाई से वंचित न होने दो।।


रचनाकार : गणपत लाल उदय
लेखन तिथि : 17 नवम्बर, 2020
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