भारतीय संविधान (कविता)

संघात्मक संविधान हमारा एकात्मक से मेल,
संघ, राज्य और समवर्ती सूची में क़ानूनी खेल।
भारतीय संविधान सर्वोच्च क़ानून हमारा,
जनता के लिए, जनता के द्वारा, भाव हमारा।।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल या मुख्यमंत्री,
सबको लेनी होती है शपथ भारत के संविधान की।
इसके बाद आती है न्यायपालिका की वारी,
संवैधानिक विवेचना की न्यायिक ज़िम्मेदारी।।

संसद की अहम भूमिका राष्ट्रनिर्माण में,
बहुमत से तय होता नीति कानून, व्यवहार में।
सत्तापक्ष विपक्ष में होता तर्क-वितर्क,
तत्पश्चात बनता है सामायिक क़ानून।।

कार्यपालिका, न्यायपालिका, मीडिया,
संवैधानिक आवश्यक अंग।
अपनी-अपनी धुरी पर घूमें, कार्य करें स्वतन्त्र।
कभी कभी जब उलक्ष जाते हैं,
संविधान से सुलझाते है।।

संविधान सभा ने समग्र प्रयास से इसे बनाया,
अंबेडकर का कुशल नेतृत्व काम आया।
आओ २६ जनवरी को उनका गुणगान करें,
महापुरूषों के बलिदानो का भी सम्मान करें।।

आओ फिर से यह प्रतिज्ञान करें,
मातृभूमि का शीश नहीं झुकने देेगें।
आईएस, पाक को करारा जबाव देकर,
नापाक आतंकी मंसूबो को कुचल देगें।।

जन मन गन का गान करेंगे, नभ में तिरंगा फहराएँगे।
कश्मीर बादियों में फिर से, अमन-चमन लौटाएँगे।
फिर से गुलशन महकेगा, दहशतगर्ज घबराएँगे।
अनेकता में एकता से, ख़ौफ़ज़दा हो जाएँगे।।

दिखला दो अपनी ताक़त, हठ अपना छोड़ो।
नमो के साथ चलो और, विकास से नाता जोड़ो।
जब हम विकासशील से विकसित हो जाएँगे,
चीन, पाक और बांगला भी नत-मस्तक हो जाएँगे।।

चहूँ ओर बजेगा फिर से भारत का डंका,
फिर से भारत सोने की चिड़िया कहलाएगा।
जगतगुरू भारत विश्व को राह दिखाएगा,
माँगू आशीष ईश से फिर से नया सवेरा आएगा।।


लेखन तिथि : 5 अक्टूबर, 2015
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