भविष्य (कविता)

मज़बूत घोड़ों की तरह
दौड़ रही हैं
जड़ें

और सबेरा है
हर तरफ़

गोया घने जंगलों का बिंब
उभर आया हो
आकाश में।


रचनाकार : वेणु गोपाल
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