भोला आदमी (कविता)

आदमी तू बड़ा भोला है,
बात बोले बड़बोला है।
अच्छाई-बुड़ाई में भेद न जाने,
आदमी तू बड़ा भोला है।

न जाने तू सच्चाई,
बस कहे उसकी सुनाई।
ग़फ़लत में पड़ता जाता है,
आदमी तू बड़ा भोला है।

नियम की धज्जी उड़ती सरेआम,
माँ-बेटियाँ बदनाम होती सरेआम।
फिर भी लड़ता ये नाकाम,
शायद कभी तो सुने ये हैवान,
आदमी तू बड़ा भोला है।


लेखन तिथि : 2013
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