साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
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ग्वालियर, मध्य प्रदेश
1939
भूख सबसे पहले दिमाग़ खाती है उसके बाद आँखें फिर जिस्म में बाक़ी बची चीज़ों को छोड़ती कुछ भी नहीं है भूख वह रिश्तों को खाती है माँ का हो बहन या बच्चों का बच्चे तो उसे बेहद पसंद हैं जिन्हें वह सबसे पहले और बड़ी तेज़ी से खाती है बच्चों के बाद फिर बचता ही क्या है।
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