मर्यादा पुरुषोत्तम आए देखो अपने धाम
सब जन मिलकर बोलो जय श्री राम
दुल्हन जैसी सजी अयोध्या दर्शन को ललसाई
राम मिलन की पावन बेला सदियों बाद सुहाई
आए है निज धाम पुनः प्रभु करने को विश्राम
सब जन मिलकर...
केवट शबरी मुदित हुए मन सगरी प्रजा सुखारी
यातुधान के वंशज देखो रह गए मन को मारी
माँग रहे थे प्रमाण राम का हो गए पूर्ण विराम
सब जन मिलकर...
कैकेई ने तो केवल था चौदह वर्षों वन भेजा
पुर के लोगों ने तब उसको कुलटा पापी बोला
हमने तो सदियों रखा है क़ानूनों के आयाम
सब जन मिलकर...

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