साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
झुन्झुनू, राजस्थान
1948
जब प्राणवायु ने अपनी से दोगुनी जलवायु से मिलकर सिरजी एक बूँद जल की तब उसी बूँद के आईने में देखा मैंने ख़ुशी से नाचता समूचा ब्रह्मांड।
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