बुज़ुर्ग कभी बोझ नहीं होते (कविता)

ये बुज़ुर्ग व्यक्ति कभी बोझ नहीं होते,
ना समझ व्यक्ति इन्हें समझ न पाते।
परिवार की ढाल बुज़ुर्ग बनकर रहते,
सबको सही सलाह विचार ये बताते।।

असफलताएँ भी सफलता बन जाती,
इनके आशीष से काया पलट जाती।
परिवार की नींव इन पर टीकी रहती,
बरगद जैसी छाया बुज़ुर्ग से मिलती।।

परिवार का हौसला इनसे बना रहता,
हारी ये बाजी आशीर्वाद जीता देता।
मर्यादा में रहकर इनके दिल जीतना,
धन-धान्य से वह भण्डार भरा पाता।।

खिल जाता है उपवन इनके बोल से,
महक जाती क्यारी इनके सुझाव से।
बुज़ुर्ग का साया उन्हीं लोगों ने पाया,
बनें है महान सभी उनके आशीष से।।

आशाओं पे टिका है जीवन वृद्ध का,
हर सुख दिया है तुझको जहान का।
विपरीत परिस्थिति में भी ढाल बना,
बुढ़ापे में भी पहरेदार बना द्वार का।।


रचनाकार : गणपत लाल उदय
लेखन तिथि : 3 मार्च, 2021
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