चाहत (कविता)

सुबह उठते ही
चिड़ियों के साथ चहचहाना चाहता हूँ
दूधवाले से उसकी गायों के नाम
पूछना चाहता हूँ
अख़बारवाले से नमस्कार करना चाहता हूँ
एकांत पार्क में जाकर
दरख़्तों के साथ झूलना चाहता हूँ
बुलबुलों के घोंसले में घुसकर
उनके साथ ब्रेकफ़ास्ट करना चाहता हूँ
और थोड़ी देर के लिए
किसी बाँबी में सरककर
किसी नागिन के इश्क़ में पड़ जाना चाहता हूँ
और घर लौटकर
अपनी मेड-सर्वेंट के साथ मिलकर
बर्तन साफ़ करना
और फ़र्श पर पोंछा लगाना चाहता हूँ
दिन भर पड़ोसियों से गप्पें लगाना चाहता हूँ
रात में दुश्मनों के साथ शराब पीना चाहता हूँ
अंतरिक्ष के सारे ग्रहों की सैर करके
चंद्रलोक में गहरी नींद सोना चाहता हूँ।
क्योंकि अपने जीवन में
वही नहीं कर सका
जो करना चाहता हूँ अपने जीवन में


रचनाकार : आग्नेय
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