चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल (ग़ज़ल)

चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
इक तू ही धनवान है गोरी बाक़ी सब कंगाल

हर आँगन में आए तेरे उजले रूप की धूप
छैल-छबेली रानी थोड़ा घूँघट और निकाल

भर भर नज़रें देखें तुझ को आते-जाते लोग
देख तुझे बदनाम न कर दे ये हिरनी सी चाल

कितनी सुंदर नार हो कोई मैं आवाज़ न दूँ
तुझ सा जिस का नाम नहीं है वो जी का जंजाल

सामने तू आए तो धड़कें मिल कर लाखों दिल
अब जाना धरती पर कैसे आते हैं भौंचाल

बीच में रंग-महल है तेरा खाई चारों ओर
हम से मिलने की अब गोरी तू ही राह निकाल

कर सकते हैं चाह तिरी अब 'सरमद' या 'मंसूर'
मिले किसी को दार यहाँ और खिंचे किसी की खाल

ये दुनिया है ख़ुद-ग़रज़ों की लेकिन यार 'क़तील'
तू ने हमारा साथ दिया तो जिए हज़ारों साल


रचनाकार : क़तील शिफ़ाई
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