साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
हो गया है थाने का अपराधी से मेल। उजाले का ख़ून हो गया। पहरुए अफ़लातून हो गया।। जीवन लगता है मानो शतरंज का खेल। कलियाँ हैं रौंदी बाग में। पड़ते हैं छाले राग में।। आहत करती बतकही जैसे चले गुलेल।
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें