साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3563
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
हो गया है थाने का अपराधी से मेल। उजाले का ख़ून हो गया। पहरुए अफ़लातून हो गया।। जीवन लगता है मानो शतरंज का खेल। कलियाँ हैं रौंदी बाग में। पड़ते हैं छाले राग में।। आहत करती बतकही जैसे चले गुलेल।
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