चीज़ें (कविता)

चीज़ें जानती हैं

कुछ नहीं है होना

उन्हें रहना है

ताकि लोग
न रह जाएँ अकेले


रचनाकार : अनिरुद्ध उमट
यह पृष्ठ 179 बार देखा गया है
×

अगली रचना

अपना आप


पिछली रचना

मौत की घड़ी
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें