छाया त्रासन है (नवगीत)

नहीं फटकता अँधकार
पहरुए हैं उजाले के।

अँधकार का नाश करेंगे
दिए दिवाली के।
हथकड़ियाँ हाँथों में होंगी
किसी मवाली के।।

हैं कभी-कभी फ़साद हो जाते
बैठे-ठाले के।

दिन-दहाड़े लूट है होती
कैसा शासन है।
गली, मोहल्ले, चोराहों में
छाया त्रासन है।।

वातानुकूलित दु:ख पढ़ेंगे
पाँवों के छाले के।


लेखन तिथि : 2023
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