साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
1911 - 1987
मैं सभी ओर से खुला हूँ वन-सा, वन-सा अपने में बंद हूँ शब्द में मेरी समाई नहीं होगी मैं सन्नाटे का छंद हूँ।
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