छोटे दलों का गठबंधन (त्रिभंगी छंद)

यहाँ संख्या मंत्र, बने है यंत्र, इस लोकतंत्र, गीत चले।
जैसी गति तेरी, वैसी मेरी, तेरी मेरी, मीत भले।।

गठजोड़ ज़रूरी, क्या मजबूरी, बने न दूरी, सरल करें।
एकता का राज़, एक आग़ाज़, करे सब नाज़, पहल करें।।

हो भागीदारी, हिस्सेदारी, हम आभारी, दीप जले।
जैसी गति तेरी, वैसी मेरी, तेरी मेरी, मीत भले।।

न समझिए छोटा, और न खोटा, गाड़े खूँटा, जंग भले।
ऊँच-नीच खटका, भारत सबका, धक्का-मुक्का, संग भले।।

मतदान हमारा, राज़ तुम्हारा, कहाँ सहारा, दिन ढले।
जैसी गति तेरी, वैसी मेरी, तेरी मेरी, मीत भले।।

जब तक बनी बात, हुई है मात, विलय घात, बद सपनें।
चौकन्ना रहने, रंज न सहने, तुम घर अपने, मैं अपने।।

राष्ट्रीय दल से, दबे न बल से, लड़ ले मत से, नीति तले।
जैसी गति तेरी, वैसी मेरी, तेरी मेरी, मीत भले।।


लेखन तिथि : 28 जुलाई, 2021
यह पृष्ठ 276 बार देखा गया है
×

अगली रचना

वो बारिश का दिन


पिछली रचना

प्रेम की भाषा
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें