बोले माइक पकड़ कर, पापड़चंद ‘पराग’।
चोटी के कवि ले रहे, सम्मेलन में भाग॥
सम्मेलन में भाग, महाकवि गामा आए।
काका, चाचा, मामाश्री, पाजामा आए॥
हमने कहा, व्यर्थ जनता को क्यों बहकाते?
दाढ़ी वालों को भी, चोटी का बतलाते॥
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