हार गए वे, लग गई इलेक्शन में चोट।
अपना अपना भाग्य है, वोटर का क्या खोट?
वोटर का क्या खोट, ज़मानत ज़ब्त हो गई।
उस दिन से ही लालाजी को ख़ब्त हो गई॥
कह ‘काका’ कवि, बर्राते हैं सोते सोते।
रोज़ रात को लें, हिचकियाँ रोते रोते॥
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