साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3564
बरेली, उत्तर प्रदेश
1940
दर-ब-दर सर झुकाए फिरता है आरज़ी इक़्तिदार की ख़ातिर कितना मजबूर हो के जीता है आदमी इख़्तियार की ख़ातिर
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