साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
पटना, बिहार
1926 - 2015
दर्द कब दिल में मेहरबाँ न रहा, हाँ मगर क़ाबिल-ए-बयाँ न रहा। हम जो गुलशन में थे बहार न थी, जब बहार आई आशियाँ न रहा। ग़म गराँ जब न था गराँ था मुझे, जब गराँ हो गया गराँ न रहा। दोस्तों का करम मआ'ज़-अल्लाह, शिकवा-ए-जौर-ए-दुश्मनाँ न रहा। बिजलियों को दुआएँ देता हूँ, दोश पर बार-ए-आशियाँ न रहा।
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