हे दीन-दयालू दया के सागर नाम तेरा सुखदाई है।
अपने भक्त जनों की तुमने हर पल लाज बचाई है।।
ऋषि, मुनि, सन्यासी, योगी गुण तेरे ही गाते हैं,
रटके तुझको सच्चे दिल से मन वांछित फल पाते हैं,
जिसको दे दो दर्शन प्रभु उसकी सफल कमाई है।
शील, सबर, सन्तोष हमारे हृदय अंदर भर देना,
सदबुद्धि देकर हमको दूर विकार ये कर देना,
तु ही सबका पालक मालिक तु ही सच्चा साईं है।
अज्ञान अँधेरा दूर भगाओ, जलाओ ज्ञान की ज्योति,
अपने चरण में दे दो शरण ना चाहते हीरे-मोती,
जो भी आया तेरी शरण में उससे प्रीत निभाई है।
दिन-रात चले हम सत्मार्ग पर लेकर नाम तेरा प्रभु,
'पँवार' करे गुणगान रोज़ ये सुबह शाम तेरा प्रभु,
मन-मंदिर में मूरत तेरी प्रभु हमनें बसाई है।
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